जैसे कि हम जानते हैं पूजा और प्रेम दो पवित्र शब्द है।जब भी हम इन दो शब्द के बारे में सोचते हैं तो हम रोमांचित हो जाते हैं और हमारा रोम-रोम आनंदित जाते हैं.और हमें शांति एवं ख़ुशी का अनुभव होता है तो क्यों ना आज इन दोनों शब्दों के बारे में बात करते हैं. एक बात बोलना यहां गलत नहीं होगा कि हम जिससे प्रेम करते हैं उन्हें ही, पूजा करते हैं. शायद इसीलिए प्रेम पुजारी जैसे शब्द का आविष्कार हुआ है। तो सबसे पहले मैं यहां प्रेम के बारे में ही लिखूंगा . प्रेम शब्द जैसे ही हमारे मन में आता है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में सोहनी महिवाल, हीर रांझा, लैला मजनू आदि छबि हमारे मन मेंंं उतर जाता ,. या कभी-कभी हमारे ज...
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